केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिक सुरक्षा (सिविल डिफेंस) के लिए देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 7 मई को मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। ताकि किसी आपात स्थिति में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। देश में करीब 300 स्थानों पर इसका आयोजन किया जाएगा। आईए जानते हैं, मॉक ड्रिल के बारे में वह सब कुछ, जिसे आप जानना चाहते हैं।
पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच उपजे तनाव के बीच देश में बुधवार को 300 से अधिक जिलों में सरकार सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित करने जा रही है। परमाणु संयंत्रों, सैन्य ठिकानों, रिफाइनरी और जलविद्युत बांधों जैसे संवेदनशील प्रतिष्ठानों वाले करीब 300 नागरिक सुरक्षा जिलों में हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन, ‘शत्रुतापूर्ण हमले’ के लिए सिविल डिफेंस और बंकरों और खंदकों की सफाई के साथ मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा।
इस अभ्यास के तहत ब्लैकआउट (बिजली कटौती), एयर रेड सायरन (हवाई हमले की चेतावनी) और निकासी प्रक्रियाओं जैसी स्थितियों का अभ्यास किया जाएगा। सिविल डिफेंस जिले अग्रिम पंक्ति के क्षेत्र होते हैं, जिनका कार्य एयर रेड ड्रिल, ब्लैकआउट अभ्यास, निकासी प्रोटोकॉल और नागरिक जागरूकता सत्र जैसी नागरिक सुरक्षा गतिविधियों को संगठित करना, निष्पादित करना और बेहतर बनाना होता है।
अधिकारियों के अनुसार, यह अभ्यास किसी आसन्न युद्ध का संकेत नहीं है, बल्कि यह सिविल डिफेंस नियमावली, 1968 के तहत लंबे समय से चले आ रहे ढांचे का हिस्सा है। यह नियम शीत युद्ध के दौर के हैं, लेकिन अब इन्हें आधुनिक खतरों के अनुसार नया रूप दिया जा रहा है। यह ड्रिल भारत की युद्ध जैसी आपात स्थितियों में तेज और समन्वित प्रतिक्रिया की क्षमता को परखने के लिए आयोजित की जा रही है।