सुख रहें हैं सरोवर पशु पंक्षियों के लिए जल संकट
जौनपुर (खुटहन) ३० मार्च
ग्रीष्म ऋतु के दस्तक देतें ही ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के तहत बनाये व सुंदरीकरण किये गये सरोवर सुख रहे हैं कुछ तालाबों में जल ही नहीं बचा बस केवल सुखी भुमि
सिंचाई के लिए तालाबों से पानी निकाला गया
दुर दराज के इलाकों में जहाँ सिंचाई के लिए नहर का पानी पहुँच पाना मुमकिन नहीं है व ट्यूवेल, नलकूप, जैसे अन्य संसाधन मौजूद नहीं है वहा आस पास के किसान तालाबों से पानी निकाल कर फसलों की सिंचाई करते हैं जिससे गर्मी का मौसम आतें आतें इनमें पानी नहीं रह जाता है
मछली पकड़ने वालों से मुसिबत
जहाँ एक तरफ कृषि के लिए सरोवरों से पानी निकाला गया वही मछली पकड़ने के शौकीन लोग भी तालाबों से पानी निकाल कर मछली पकड़ने का काम करते हैं जिसके कारण भी सरोवर सुख रहे हैं
तालाबों में जल न रहने से पशु पंक्षियों को खासी परेशानीयों का सामना करना पड़ता है
तपती गर्मी में अपनी प्यास बुझाने के लिए वन्य जीवों को कोसों दुर तक पानी की तलाश में भटकना पडता है
जिससे कयी बार पानी के अभाव में इनकी मौत भी हो जाती है
खुटहन विकास खण्ड के विकास अधिकारी कृष्ण कुमार व अन्य नहीं देखने जातें हैं सुखते तालाबों को
जैसे तैसे तालाबों की खुदाई मनरेगा मजदूरों के नाम पर जेसीबी मशीनों द्वारा कराकर तालाबों का सुंदरीकरण करा दिया गया
पर ऐसे तालाबों से क्या फायदा जिनमें पानी ही न हो
जबकि सरकार की मंशा थी तालाबों में पानी रहने से जल संकट खड़ा नहीं होगा जीव जंतुओं पशु पंक्षियों को प्यास बुझाने के लिए भटकना नहीं पडेगा
मानवेन्द्र उपाध्याय (रिंकू) खुटहन